Ex-MP Prabhunath Singh: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के राजनेता प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह सजा 1995 के दोहरे हत्याकांड से जुड़े एक मामले में सुनाई है। प्रभुनाथ सिंह पूर्व सांसद हैं। प्रभुनाथ पर 1995 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था। उसी मामले पर आज शीर्ष अदालत का फैसला आया और पूर्व सांसद को उम्रकैद की सजा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के राजनेता प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह सजा 1995 के दोहरे हत्याकांड से जुड़े एक मामले में सुनाई है।
प्रभुनाथ सिंह पूर्व सांसद हैं। प्रभुनाथ पर 1995 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था। उसी मामले पर आज शीर्ष अदालत का फैसला आया और पूर्व सांसद को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
प्रभुनाथ सिंह(MP Prabhunath Singh) का राजनीतिक सफर
पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह का राजनीतिक करियर 1985 से शुरू हुआ था। विधायक बनने से पहले प्रभुनाथ मशरक के तत्कालीन विधायक रामदेव सिंह काका की हत्या होने के बाद चर्चा में आए थे।
काका की हत्या का आरोपित प्रभुनाथ सिंह को भी बताया गया था, लेकिन बाद में वे कोर्ट से बरी हो गए थे। हालांकि, उनके भाई दीना सिंह को सजा हुई सुनाई गई थी।
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अशोक सिंह से चुनाव हार गए थे प्रभुनाथ
1990 में प्रभुनाथ सिंह जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते थे। 1995 आने पर विधानसभा चुनाव में जनता दल का टिकट अशोक सिंह को दिया गया। इस दौरान प्रभुनाथ ने बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपा) से चुनाव लड़ा। प्रभुनाथ हार गए और अशोक सिंह चुनाव जीत गए।
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इसके बाद 3 जुलाई 1995 को शाम 7.20 बजे पटना के स्ट्रैंड रोड स्थित आवास में अशोक सिंह की हत्या कर दी गई। हत्या में प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह तथा मशरक के रितेश सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया गया।
साल 1995 में दो लोगों की हत्या का मामला
बता दें कि यह पूरा मामला 1995 का है. सांसद पर आरोप था कि उन्होंने अपने कहे अनुसार वोट नहीं देने पर छपरा के मसरख इलाके के निवासी की हत्या करा दी थी. साल 1995 में राजेंद्र राय और दारोगा राय की हत्या हुई थी. राजेंद्र राय की उम्र 47 साल थी. वहीं, दारोगा राय की उम्र 18 साल थी. आरजेडी के पूर्व सांसद पर वोट नहीं देने पर हत्या का आरोप था. इसके बाद निचली अदालत में मामला पहुंचा था. यहां सुनवाई हुई और पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी. हाईकोर्ट में भी यह मामला पहुंचा था. इसके बाद पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को ही सही माना था. वहीं, फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.