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ISRO Aditya L1: भारत के पहले सूर्य मिशन Aditya L1 के लॉन्चिंग में अब बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। सूरज के हर राज से उठेगा पर्दा

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ISRO Aditya L1: भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 के लॉन्चिंग में अब बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। आदित्य एल1 को 2 सितंबर की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए इसरो की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आदित्य L1 को बनाने में कितना समय लगा? अंतरिक्ष में सूर्य की स्टडी क्यों की जायेगी? और गुजरात में आदित्य एल1 के कौन-कौन से पार्ट्स बने है? इस बारे में गुजराती जागरण की टीम ने अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेन्टर, इसरो के डायरेक्टर, नीलेश एम. देसाई से खास बातचीत की। आइए जानते हैं इसरो डायरेक्टर ने क्या कहा?

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आदित्य एल1 क्यों है इसका नाम'(Why is it named Aditya L1?)

आदित्य L1 मिशन क्या है | ISRO Aditya L1 Solar Mission

नासा के अनुसार, लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में एक ऐसा पॉइंट है, जहां दो बड़े ऑब्जेक्ट का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव सेंट्रिपेटल बल के बराबर होता है, जिसके जरिए कोई छोटी सी चीज भी आसानी से मूव कर सकती है। इसका मतलब है कि इन पॉइंट्स पर दो खगोलिय पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल और रिपल्शन बल इतना होता है कि कोई यान एक स्थान पर स्थिर भी रह सकता है और मूव भी कर सकता है। इससे उस पॉइंट पर स्थित यान में ईंधन की बचत होती है।

ISRO Aditya L1

पृथ्वी और सूर्य के बीच 5 लैग्रेंज बिंदु हैं। इनमें L1, L2, L3, L4 और L5 शामिल है। आदित्य एल1(ISRO Aditya L1) के नाम से ही ये समझना आसान हो जाता है कि इसरो का ये यान ऑर्बिट के L1 पॉइंट के पास जाएगा। आपको बता दें कि सूर्य के पास के L1 पॉइंट से बिना किसी बाधा के सूर्य का सीधा व्यू मिलता है।

7 पेलोड ले जाएगा आदित्य एल -1(Aditya L-1 will carry 7 Payloads)

आदित्य एल1(ISRO Aditya L1) मिशन विभिन्न तरंग बैंडों में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना का निरीक्षण करने के लिए 7 पेलोड ले जाएगा। मिशन में एक विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) पेलोड शामिल है, जिसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसी तरह, इसमें इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे द्वारा विकसित सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) भी शामिल है।

आपको बता दें कि इनसे इसरो को डाटा इकट्ठा करने में मदद मिलेगी कि कैसे कोरोना का तापमान 10 लाख डिग्री से अधिक तक पहुंच सकता है, जबकि सूर्य का अधिकतम तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक है।

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  • विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
  • सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
  • आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
  • प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
  • सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
  • हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
  • एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजॉलूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर

20 सेकंड में डेटा और फोटो होंगे धरती पर

इसके अलावा नीलेश एम. देसाई ने आगे कहा, “आदित्य एल1 को हेलो ऑर्बिट में स्थापित करने के बाद कोरोनल हीटिंग और सौर पवन त्वरण, कोरोनल मास इजेक्शन (CME), फ्लेयर्स और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम की शुरुआत, सौर वातावरण के युग्मन और गतिशीलता और वितरण और तापमान सौर वायु अनिसोट्रॉपी को समझने के लिए डेटा एकत्र करेगी। इसके अलावा, आदित्य L1 में SUIT (सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) है और सैटेलाइट को खोखली कक्षा में स्थापित करने के बाद VELC का शटर खोला जाएगा और इसकी तस्वीर इवेंट कैमरे द्वारा क्लिक की जाएगी। इस तरह 20 सेकंड में डेटा और फोटो धरती पर प्राप्त हो जाएंगे।

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