Women Reservation Bill: लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को लोकसभा में पेश किया। बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल को दोनों सदनों से पारित किए जाने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं। बता दें कि निचले सदन में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएगी।
Women Reservation Bill
Women Reservation Bill। नए संसद भवन में पहले दिन की कार्यवाही में महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में महिला आरक्षण बिल की पुरजोर वकालत की। पीएम मोदी के भाषण के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को लोकसभा में पेश किया।
Also Read: Nipah Virus Outbreak: Top 10 symptoms of the deadly Virus; Prevention and Treatment tips
नारी शक्ति वंदन अधिनियम में क्या-क्या?
#WATCH | In the Lok Sabha of the new Parliament building, Union Law Minister Arjun Ram Meghwal says "This bill is in relation to women empowerment. By amending Article 239AA of the Constitution, 33% of seats will be reserved for women in the National Capital Territory (NCT) of… pic.twitter.com/BpOMzt1ydW
— ANI (@ANI) September 19, 2023
केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि महिलाओं को लोकसभा और अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके कानून बनने के बाद सदन में महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी। महिला आरक्षण की अवधि फिलहाल 15 साल रखी गई है। इसकी अवधि बढ़ाने का अधिकार लोकसभा के पास होगा। मेघवाल ने आरोप लगाया कि पहले कई बार विधेयक को जानबूझकर पास नहीं होने दिया गया।
विधेयक के एलान पर क्या बोले प्रधानमंत्री?
हर देश की विकास यात्रा में ऐसे मील के पत्थर आते हैं, जब वह गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सभी ने नया इतिहास रचा है। ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्त होते हैं। नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह पल और आज का यह दिवस संवत्सरी और गणेश चतुर्थी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है। हम सभी के लिए यह पल गर्व का है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटलजी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया।