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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ पर छलनी में से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा? जानिए पूरी कथा और महत्व!

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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ के त्योहार का सनातन धर्म में बहुत महत्व है. करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. इस बार करवा चौथ 1 नवंबर को है. करवा चौथ के दौरान, विवाहित महिलाएं अपने पतियों की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ के पवित्र व्रत रखने वाली महिलाओं को अबकी बार चंद्र दर्शन करने के लिए ज्यादा इंतजार करना नहीं पड़ेगा. करवा चौथ की पूजा के लिए मिट्टी का करवा, छलनी और कांस के तृण का होना बेहद जरूरी होता है, लेकिन इन चीजों का क्या महत्व है और यह पूजा में क्यों आवश्यक है, यह बहुत कम लोग ही जानते हैं.

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Karwa Chauth 2023 Timimgs

Karwa Chauth 2023

जानिए कितने बजे दिख जाएगा चांद, कब तक करेगा परेशान? अक्टूबर में नवरात्रि और दशहरा के बाद अब नवंबर में लाइन लगाकर त्योहार आ रहे हैं। 1 नवंबर को करवाचौथ से महीने की शुरुआत हो रही है फिर दिवाली आ जाएगी। करवाचौथ की हमारे देश में बहुत मान्यता है।

आखिर क्यों किया जाता है छलनी से पति और चंद्रमा के दर्शन?

करवा चौथ वाले दिन चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना वर्जित माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि छलनी से अपने पति के मुख को देखने से छलनी में सैकड़ों छेद की तरह पति की सैकड़ों वर्ष की उम्र होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा और पति को छलनी से देखा जाता है।

करवा चौथ कथा(karva chauth story)

करवा चौथ को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम करेंगे। करवा नाम की एक महिला थी, जो भद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में नहा रहा था, उस दौरान एक मगरमच्छ ने उसके पति को नदी के अंदर खींच लिया। उस भयानक क्षण में, करवा ने अपने पति की सुरक्षा के लिए मृत्यु के देवता यमराज से बहुत प्रार्थना की।

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उसकी भक्ति से प्रभावित होकर, यमराज ने उसे एक विशेष आशीर्वाद दिया, जो भी महिला इस दिन उसके नाम पर व्रत रखेगी, उसके पति को लंबी आयु का वरदान मिलेगा। इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में करवा चौथ के दौरान भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस शुभ दिन पर, भक्त मां पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करते हैं।

करवा चौथ के दिन चंद्रमा का महत्व (Karwa Chauth Chand )

Karwa Chauth 2023

करवा चौथ के दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत करती हैं और फिर रात के समय चंद्रमा को देखकर अपना व्रत खोलती हैं. इस व्रत में चंद्रमा का खास महत्व होता है और इसलिए महिलाएं रात का बेसब्री से चांद दिखने का इंतजार करती हैं. करवा चौथ व चंद्रमा से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार जिस दिन भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग किया गया था उस दौरान उनका सिर सीधे चंद्रलोक चला गया था.

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ऐसा माना जाता है कि आज भी उनका सिर चंद्रलोक में मौजूद है. हिंदू धर्म में गणपति जी की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है, इसलिए उनका सिर चंद्रलोक में होने के कारण चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा की भी पूजा की जाती है. करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा होती है. मां पार्वती को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त था. ऐसे में मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगने के लिए व्रत रखती हैं.

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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