Chandrayaan-3: इसरो ने शनिवार को शिव-शक्ति पॉइंट (चांद पर लैंडर जिस जगह उतरा) पर घूम रहे Pragyan Rover का दूसरा वीडियो शेयर किया है। इससे पहले इसरो ने 25 अगस्त को चंद्रयान-3 के Vikram लैंडर से बाहर निकलते हुए प्रज्ञान रोवर का वीडियो शेयर किया था। लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था।
Chandrayaan-3 मिशन के 3 में से 2 मकसद पूरे
इसरो ने बताया कि प्रज्ञान रोवर अगले 11 दिनों में लैंडर के आसपास आधा किमी घूमेगा। ये एक सेमी प्रति सेकेंड की गति से चलता है और अपने आस-पास की चीजों को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल कर रहा है। इसरो अब तक मून मिशन की 10 फोटो और 4 वीडियो शेयर कर चुका है।
इसरो ने ये भी कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के 3 उद्देश्य थे, जिनमें से 2 सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं- 1. चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग। 2. चांद की सतह पर रोवर को चलाने में कामयाब रहे। 3. चांद की सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण फिलहाल चल रहा है। सभी पेलोड सामान्य तरीके से काम कर रहे हैं।
24 अगस्त : लैंडिंग का वीडियो
चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। 23 जुलाई को चंद्रयान-3 के लैंडर की चांद की सतह पर लैंडिंग हुई। यानी इसे धरती से चांद तक पहुंचने में 41 दिन लगे। 24 जुलाई को जारी हुए इस वीडियो में चांद की सतह पर शुरुआत में लहरों जैसा नजारा दिखा, पास पहुंचते ही वहां काफी सारे बड़े और छोटे गड्ढे नजर आए।
25 अगस्त : विक्रम लैंडर का रैंप का वीडियो शेयर किया
इसरो ने रोवर के बाहर आने से पहले विक्रम लैंडर के रैंप का वीडियो शेयर किया था। इसी से रोवर नीचे उतरा। चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से है। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड जिसका नाम शेप है वो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।
25 अगस्त : रोवर के बाहर आने का वीडियो, चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ी
प्रज्ञान रोवर के पीछे के दो पहियों पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो के इंडेंट हैं। जैसे ही रोवर चंद्रमा पर उतरा तो उसके पहियों ने चांद की मिट्टी पर इन प्रतीकों की छाप छोड़ी।
26 अगस्त: चांद की सतह पर चलता दिखा प्रज्ञान रोवर
चांद पर लैंडर जिस जगह उतरा उसके आस-पास रोवर चक्कर लगा रहा है। लैंडिंग चांद के साउथ पोल पर हुई है। दरअसल, चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में पानी अभी भी मौजूद हो सकता है।