फेसबुक के स्वामित्व वाली दिग्गज टेक कंपनी मेटा (Meta) के लिए यह साल मुश्किल भरा साबित हुआ। इसकी वजह कंपनी के खुद के फैसले रहे। सबसे बड़ा फैसला तो यही था

पहला फैसला

फरवरी में मेटा को एक रात में 237 अरब डॉलर (19.5 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ, जो अमेरिका में एक दिन का सबसे बड़ा नुकसान है।

दूसरा फैसला

जून में 14 साल काम करने के बाद COO शेरिल सैंडबर्ग ने कंपनी छोड़ दी। वह पुरुष वर्चस्व वाले सेक्टर में ऐसी शीर्ष महिला अधिकारी थीं,

तीसरा फैसला

टिकटॉक से रेस में आगे निकलने के लिए क्वार्टर 2 में इंस्टाग्राम पर रिकमंडेड कंटेंट को डबल किया। उम्मीद थी कि ऐप का इस्तेमाल बढ़ेगा

चौथा फैसला

गस्त में मेटा ने AI चैटबॉट ब्लेंडरबॉट 3 की शुरुआत की, जिसका मकसद विविधता में एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना था। 

पांचवां फैसला

मेटावर्स बनाने की चाह में फेसबुक का नाम बदलकर मेटा कर दिया। अगस्त में होराइजन वर्ल्ड्स की शुरुआत की। इसमें अवतार की कमर के नीचे का हिस्सा गायब था।

छठवां फैसला

जकरबर्ग ने फिर होराइजन पर लोगों के अवतार में पैर जुड़वाए। कुछ समय तक परफॉर्मेंस ठीक रही। फिर एक वीडियो एडिटर ने बताया कि मेटा